*अनुसूचित जाति की महिला उमा रानी की दो बीघा कृषि भूमि को सामान्य जाति के व्यक्ति ने सरकारी नियमों एवं कानून को ताक पर रख दिया, विक्रेता की तारीख के 3 वर्ष बाद तथ्यों को छुपाकर तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों को मोटी रकम खिलाकर उक्त भूमि का दाखिल खारिज कराया गया, भूमि की खरीदारी में जहां अनुसूचित जाति की महिला की भूमि को सामान्य जाति के व्यक्ति द्वारा खरीद लिया गया है सरकार द्वारा स्थापित कानून तोड़ा गया*
रुड़की / भगवानपुर। उत्तराखंड राज्य में अजब गजब के कारनामे देखने को मिल रहे हैं नया मामला रुड़की ब्लॉक के एक गांव किशनपुर जमालपुर का है जहां एक अनुसूचित जाति की महिला उमा रानी की दो बीघा कृषि भूमि को सामान्य जाति के व्यक्ति ने सरकारी नियमों एवं कानून को ताक पर रख दिया वर्ष 2018 में खरीदी गई इस जमीन के दाखिल खारिज में भी इसलिए 3 वर्ष का समय लगा क्योंकि अनुसूचित जाति की कृषि भूमि को केवल अनुसूचित जाति का व्यक्ति ही खरीद सकता है सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि विक्रेता की तारीख के 3 वर्ष बाद तथ्यों को छुपाकर तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों को मोटी रकम खिलाकर उक्त भूमि का दाखिल खारिज कराया गया उक्त भूमि की खरीदारी में जहां अनुसूचित जाति की महिला की भूमि को सामान्य जाति के व्यक्ति द्वारा खरीद लिया गया है सरकार द्वारा स्थापित कानून तोड़ा गया है और मृतक के फर्जी हस्ताक्षर मृत्यु के तीन वर्ष बाद करने के उपरांत अनुसूचित जाति की कृषि भूमि का सामान्य व्यक्ति के श्री महेश गोयल के नाम दाखिल खारिज कराया गया है।


